द्रोणकाकस्तु काकोलो दात्यूहः कालकण्ठकः । आतायिचिल्लौ दाक्षाय्यगृध्रौ कीरशुकौ समौ ॥ २१ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | द्रोणकाक | द्रोणकाकः | पुंलिङ्गः | द्रोणाख्यः काकः । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
2 | काकोल | काकोलः | पुंलिङ्गः | काकयति । | ओलच् | उणादिः | अकारान्तः |
3 | दात्यूह | दात्यूहः | पुंलिङ्गः | क्तिन् | कृत् | अकारान्तः | |
4 | कालकण्ठक | कालकण्ठकः | पुंलिङ्गः | काले वर्षाकाले कण्ठो ध्वनिरस्य । | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
5 | आतायिन् | आतायि | पुंलिङ्गः | आतायते तच्छीलः । | णिनि | कृत् | नकारान्तः |
6 | चिल्ल | चिल्लः | पुंलिङ्गः | चिल्लति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
7 | दाक्षाय्य | दाक्षाय्यः | पुंलिङ्गः | दक्षते । | आय्य | उणादिः | अकारान्तः |
8 | गृध्र | गृध्रः | पुंलिङ्गः | गृध्यति । | क्रन् | उणादिः | अकारान्तः |
9 | कीर | कीरः | पुंलिङ्गः | कीरेति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
10 | शुक | शुकः | पुंलिङ्गः | शोकति । | क | कृत् | अकारान्तः |