अलिञ्जर: स्यान्मणिक: कर्कर्यालुर्गलन्तिका । पिठरः स्थाल्युखा कुण्डं कलशस्तु त्रिषु द्वयोः ॥ ३१ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | अलिंजर | अलिंजरः | पुंलिङ्गः | अलिं सामर्थ्यं जरयति, जृणाति, वा । | अण् | कृत् | अकारान्तः |
2 | मणिक | मणिकः | पुंलिङ्गः | मणति । | इन् | उणादिः | अकारान्तः |
3 | कर्करी | कर्करी | स्त्रीलिङ्गः | कर्कणम् । | क | कृत् | ईकारान्तः |
4 | आलु | आलुः | स्त्रीलिङ्गः | आ लुनाति । | क्विप् | कृत् | उकारान्तः |
5 | गलन्तिका | गलन्तिका | स्त्रीलिङ्गः | गलति । | शतृ | कृत् | आकारान्तः |
6 | पिटर | पिटरः | पुंलिङ्गः | पेठति । | क | कृत् | अकारान्तः |
7 | स्थाली | स्थाली | स्त्रीलिङ्गः | तिष्ठत्यत्रौदनादि । | आलच् | उणादिः | ईकारान्तः |
8 | उखा | उखा | स्त्रीलिङ्गः | ओखति । | क | कृत् | आकारान्तः |
10 | कुण्ड | कुण्डम् | नपुंसकलिङ्गः | कुण्डयति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
11 | कलस | कलसः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | केन जलेन लसति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |