सर्वं स्यात्तैजसं लोहं विकारस्त्वयसः कुशी । क्षार: काचोऽथ चपलो रसः सूतश्च पारदे ॥ ९९ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | लोह | लोहम् | नपुंसकलिङ्गः | अण् | तद्धितः | अकारान्तः | |
2 | कुशी | कुशी | स्त्रीलिङ्गः | कुं भूमिं श्यति । | ड | कृत् | ईकारान्तः |
3 | क्षार | क्षारः | पुंलिङ्गः | क्षरति । | ण | कृत् | अकारान्तः |
4 | काच | काचः | पुंलिङ्गः | कचते । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
5 | चपल | चपलः | पुंलिङ्गः | चोपति । | कल | उणादिः | अकारान्तः |
6 | रस | रसः | पुंलिङ्गः | रस्यते । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
7 | सूत | सूतः | पुंलिङ्गः | शिवेन सूयते स्म । | क्त | कृत् | अकारान्तः |
8 | पारद | पारदः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | पारं ददाति । | क | कृत् | अकारान्तः |