ललाटमलिकं गोधिरूर्ध्वे दृग्भ्यां भुवौ स्त्रियौ । कूर्चमस्त्री भ्रुवोर्मध्यं तारकाक्ष्णः कनीनिका ॥ ९२ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | ललाट | ललाटम् | नपुंसकलिङ्गः | ललनम् । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
2 | अलिक | अलिकम् | नपुंसकलिङ्गः | अलति, अल्यते, वा । | इकन् | उणादिः | अकारान्तः |
3 | गोधि | गोधिः | पुंलिङ्गः | गुध्यते । | इन् | उणादिः | इकारान्तः |
4 | भ्रू | भ्रू | स्त्रीलिङ्गः | भ्रमति । | डू | उणादिः | ऊकारान्तः |
5 | कूर्च | कूर्चः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | कुरति । | चट् | बाहुलकात् | अकारान्तः |
6 | तारका | तारका | स्त्रीलिङ्गः | तारयति । | ण्वुल् | कृत् | आकारान्तः |
7 | कनीनिका | कनीनिका | स्त्रीलिङ्गः | कनति । | ईन | बाहुलकात् | आकारान्तः |