उत्तमाङ्गं शिरः शीर्षं मूर्धा ना मस्तकोऽस्त्रियाम् । चिकुर: कुन्तलो बाल: कच: केश: शिरोरुहः ॥ ९५ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | उत्तमाङ्ग | उत्तमाङ्गम् | नपुंसकलिङ्गः | उत्तमं च तदङ्गं च | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
2 | शिरस् | शिरस्म् | नपुंसकलिङ्गः | श्रीयते उष्णीषादिना । | असुन् | उणादिः | सकारान्तः |
3 | शीर्ष | शीर्षम् | नपुंसकलिङ्गः | णिनि | कृत् | अकारान्तः | |
4 | मूर्धन् | मूर्धन् | पुंलिङ्गः | मुह्यत्यस्मिन्नाहते । | कनिन् | उणादिः | नकारान्तः |
5 | मस्तक | मस्तकः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | मस्यते स्म । | क्त | कृत् | अकारान्तः |
6 | चिकुर | चिकुरः | पुंलिङ्गः | क | कृत् | अकारान्तः | |
7 | कुन्तल | कुन्तलः | पुंलिङ्गः | कुन्तं कुन्ताग्राकारं लाति । | क | कृत् | अकारान्तः |
8 | बाल | बालः | पुंलिङ्गः | बलति । | ण | कृत् | अकारान्तः |
9 | कच | कचः | पुंलिङ्गः | कच्यते । | घ | कृत् | अकारान्तः |
10 | केश | केशः | पुंलिङ्गः | क्लिश्यते | अन् | उणादिः | अकारान्तः |
11 | शिरोरुह | शिरोरुहः | पुंलिङ्गः | शिरसि रोहति । | क | कृत् | अकारान्तः |