शूद्राविशोस्तु करणोऽम्बष्ठो वैश्याद्विजन्मनोः । शूद्राक्षत्रिययोरुग्रो मागधः क्षत्रियाविशो: ॥ २ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | करण | करणाः | पुंलिङ्गः | किरति, कीर्यते, वा । | युच् | उणादिः | अकारान्तः |
2 | अम्बष्ठ | अम्बष्ठाः | पुंलिङ्गः | अम्बे तिष्ठति । | क | कृत् | अकारान्तः |
3 | उग्र | उग्राः | पुंलिङ्गः | उच्यति । | रन् | उणादिः | अकारान्तः |
4 | मागध | मागधाः | पुंलिङ्गः | मगध्यति । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |