ऊधस्तु क्लीबमापीनं समौ शिवककीलकौ । न पुंसि दाम संदानं पशुरज्जुस्तु दामनी ॥ ७३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
---|---|---|---|---|---|---|---|
1 | ऊधस् | ऊधस्म् | नपुंसकलिङ्गः | वहति । | असुन् | उणादिः | सकारान्तः |
2 | आपीन | आपीनम् | नपुंसकलिङ्गः | आप्यायते स्म । | क्त | कृत् | अकारान्तः |
3 | शिवक | शिवकम् | नपुंसकलिङ्गः | श्यति गात्रकण्डूम्, शेतेऽत्र वा । | वण् | उणादिः | अकारान्तः |
4 | कीलक | कीलकः | पुंलिङ्गः | कील्यते (अत्र) । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
5 | दाम | दामः | स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | दीयते वा, अनेन वा । | मनिन् | उणादिः | अकारान्तः |
6 | सदान | सदानम् | नपुंसकलिङ्गः | संदीयते । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
7 | पशुरज्जु | पशुरज्जुः | स्त्रीलिङ्गः | पशुबन्धनी रज्जुः । | तत्पुरुषः | समासः | उकारान्तः |
8 | दामनि | दामनिः | स्त्रीलिङ्गः | दामैव । | अण् | तद्धितः | इकारान्तः |