गूथं पुरीषं वर्चस्कमस्त्री विष्ठाविशौ स्त्रियौ । स्यात्कर्पर: कपालोऽस्त्री कीकसं कुल्यमस्थि च ॥ ६८ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | गूथ | गूथम् | नपुंसकलिङ्गः | गूयते । | थक् | उणादिः | अकारान्तः |
2 | पुरीष | पुरीषम् | नपुंसकलिङ्गः | पिपर्ति शरीरम् । | ईषन् | उणादिः | अकारान्तः |
3 | वर्चस्क | वर्चस्कः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | वर्चते, वर्च्यते वा । | असुन् | उणादिः | अकारान्तः |
4 | विष्ठा | विष्ठा | स्त्रीलिङ्गः | वितिष्ठते उदरे । | क | कृत् | आकारान्तः |
5 | विष् | विष् | स्त्रीलिङ्गः | वेवेष्टि । | क्विप् | कृत् | षकारान्तः |
6 | कर्पर | कर्परः | पुंलिङ्गः | कल्पते । | अर | बाहुलकात् | अकारान्तः |
7 | कपाल | कपालः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | कं पालयति । | अण् | कृत् | अकारान्तः |
8 | कीकस | कीकसम् | नपुंसकलिङ्गः | ‘कि’ इति कसति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
9 | कुल्य | कुल्यम् | नपुंसकलिङ्गः | कुले भवम् | यत् | तद्धितः | अकारान्तः |
10 | अस्थि | अस्थिम् | नपुंसकलिङ्गः | अस्यते । | क्थिन् | उणादिः | इकारान्तः |