भृङ्गारी चीरुका चीरी झिल्लिका च समा इमा: । समौ पतङ्गशलभौ खद्योतो ज्योतिरिङ्गणः ॥ २८ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | भृङ्गारी | भृङ्गारी | स्त्रीलिङ्गः | भृङ्गं भृङ्गरूपम् आ राति । | क | कृत् | ईकारान्तः |
2 | चीरुका | चीरुका | स्त्रीलिङ्गः | ‘ची’ इति रौति । | कक् | बाहुलकात् | आकारान्तः |
3 | चीरी | चीरी | स्त्रीलिङ्गः | चिनोति । | क्रन् | उणादिः | ईकारान्तः |
4 | झिल्लिका | झिल्लिका | स्त्रीलिङ्गः | चिल्लति । | अच् | झ | आकारान्तः |
5 | पतङ्ग | पतङ्गः | पुंलिङ्गः | पतति । | अङ्गच् | उणादिः | अकारान्तः |
6 | शलभ | शलभः | पुंलिङ्गः | शलति । | अभच् | उणादिः | अकारान्तः |
7 | खद्योत | खद्योत | पुंलिङ्गः | खे द्योतते । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
8 | ज्योतिरिङ्गण | ज्योतिरिङ्गणः | पुंलिङ्गः | ज्योतिर्नक्षत्रम् । तद्वदिङ्गति । | युच् | कृत् | अकारान्तः |