स्त्रियः सुमनसः पुष्पं प्रसूनं कुसुमं सुमम् । मकरन्दः पुष्परसः पराग: सुमनोरजः ॥ १७ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | सुमनस् | सुमनसः | स्त्रीलिङ्गः | सुष्ठु मन्यन्ते आभिः । | असुन् | उणादिः | सकारान्तः |
2 | पुष्प | पुष्पम् | नपुंसकलिङ्गः | पुष्प्यति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
3 | प्रसून | प्रसूनम् | नपुंसकलिङ्गः | प्रसूयते स्म । | अकारान्तः | ||
4 | कुसुम | कुसुमम् | नपुंसकलिङ्गः | कुस्यति । | उम | उणादिः | अकारान्तः |
5 | सुम | सुमम् | नपुंसकलिङ्गः | क | कृत् | अकारान्तः | |
6 | मकरन्द | मकरन्दः | पुंलिङ्गः | मकरमपि द्यति । | क | कृत् | अकारान्तः |
7 | पुष्परस | पुष्परसः | पुंलिङ्गः | पुष्पस्य रसः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
8 | पराग | परागः | पुंलिङ्गः | परा गच्छति । | ड | कृत् | अकारान्तः |
9 | सुमनोरजस् | सुमनोरजः | नपुंसकलिङ्गः | सुमनसां रजः ॥ | हरीतकी = द्वाभ्यां स्त्रीपुंसाभ्यां हीनं फले पुष्पे पत्रे च । | सकारान्तः |