स प्रतापः प्रभावश्च यत्तेजः कोषदण्डजम् । भेदो दण्डः सामदानमित्युपायचतुष्टयम् ॥ २० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | प्रताप | प्रतापः | पुंलिङ्गः | प्रतापयत्यनेन । | घ | कृत् | अकारान्तः |
2 | प्रभाव | प्रभावः | पुंलिङ्गः | प्रकृष्टो भावः । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
3 | भेद | भेदः | पुंलिङ्गः | भेदनम् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
4 | दण्ड | दण्डः | पुंलिङ्गः | दमनम् । | ड | उणादिः | अकारान्तः |
5 | सामन् | सामन्म् | नपुंसकलिङ्गः | दमनम् । | कनिन् | बाहुलकात् | नकारान्तः |
6 | दान | दानम् | नपुंसकलिङ्गः | स्वधनस्य परेभ्यः प्रतिपादनं दानम् ॥ | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |