अभ्यवस्कन्दनं त्वभ्यासादनं विजयो जयः । वैरशुद्धिः प्रतीकारो वैरनिर्यातनं च सा ॥ ११० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | अभ्यवस्कन्दन | अभ्यवस्कन्दनम् | नपुंसकलिङ्गः | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः | |
2 | अभ्यासादन | अभ्यासादनम् | नपुंसकलिङ्गः | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः | |
3 | विजय | विजयः | पुंलिङ्गः | विजयनम् । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
4 | जय | जयः | पुंलिङ्गः | अच् | कृत् | अकारान्तः | |
5 | वैरशुद्धि | वैरशुद्धिः | स्त्रीलिङ्गः | वैरस्य शुद्धिः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | इकारान्तः |
6 | प्रतीकार | प्रतीकारः | पुंलिङ्गः | प्रतिकरणम् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
7 | वैरनिर्यातन | वैरनिर्यातनम् | नपुंसकलिङ्गः | वैरस्य निर्यातनम् । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |