पलितं जरसा शौक्ल्यं केशादौ विस्रसा जरा । स्यादुत्तानशया डिम्भा स्तनपा च स्तनंधयी ॥ ४१ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | फलित | फलितम् | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | फलति । | क्त | उणादिः | अकारान्तः |
2 | विस्रसा | विस्रसा | स्त्रीलिङ्गः | विश्वस्यतेऽनया । | अङ् | कृत् | आकारान्तः |
3 | जरा | जरा | स्त्रीलिङ्गः | जीर्यतेऽनया । | अङ् | कृत् | आकारान्तः |
4 | उत्तानशया | उत्तानशया | स्त्रीलिङ्गः | उत्ताना शेते । | अच् | कृत् | आकारान्तः |
5 | डिम्भा | डिम्भा | स्त्रीलिङ्गः | डिम्भयति । | अच् | कृत् | आकारान्तः |
6 | स्तनपा | स्तनपा | स्त्रीलिङ्गः | स्तनौ पिबति । | क | कृत् | आकारान्तः |
7 | स्तनंधयी | स्तनंधयी | स्त्रीलिङ्गः | स्तनं धयति । | खश् | कृत् | ईकारान्तः |