अस्त्री वितानमुल्लोच: दूष्याचं वस्त्रवेश्मनि । प्रतिसीरा जवनिका स्यात्तिरस्करिणी च सा ॥ १२० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | वितान | वितानः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | वितन्यते । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
2 | उल्लोच | उल्लोचः | पुंलिङ्गः | ऊर्ध्वं लोचति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
3 | दूष्य | दूष्यम् | नपुंसकलिङ्गः | दूष्यते । | यत् | कृत् | अकारान्तः |
4 | प्रतिसीरा | प्रतिसीरा | स्त्रीलिङ्गः | प्रति सिनोति । | क्रन् | उणादिः | आकारान्तः |
5 | जवनिका | जवनिका | स्त्रीलिङ्गः | जवत्यस्याम् । | ल्युट् | कृत् | आकारान्तः |
6 | तिरस्करिणी | तिरस्करिणी | स्त्रीलिङ्गः | तिरस्क्रियतेऽनया । | णिनि | कृत् | ईकारान्तः |