कापोतशौकमायूरतैत्तिरादीनि तद्गणे । गृहासक्ताः पक्षिमृगाश्छेकास्ते गृह्यकाश्च ते ॥ ४३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | कापोत | कापोतम् | नपुंसकलिङ्गः | कपोतानां गणः । | अञ् | तद्धितः | अकारान्तः |
2 | शौक | शौकम् | नपुंसकलिङ्गः | शुकानां गणः । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
3 | मायूर | मायूरम् | नपुंसकलिङ्गः | मयूराणां गणः । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
4 | तैत्तिर | तैत्तिरम् | नपुंसकलिङ्गः | तित्तिरीणां गणः । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
5 | छेक | छेकः | पुंलिङ्गः | छ्यति छीयते, वा । | इन् | बाहुलकात् | अकारान्तः |
6 | गृह्मक | गृह्मकः | पुंलिङ्गः | गृह्यते । | क्यप् | कृत् | अकारान्तः |