नगाद्यारोह उच्छ्राय उत्सेधश्वोच्छ्रयश्च सः । अस्त्री प्रकाण्ड: स्कन्ध: स्यान्मूलाच्छाखावधिस्तरोः ॥ १० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | उच्छ्राय | उच्छ्रायः | पुंलिङ्गः | नगस्य तरोः ॥ | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
2 | उत्सेध | उत्सेधः | पुंलिङ्गः | उत्सेधनम् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
3 | उच्छ्रय | उच्छ्रयः | पुंलिङ्गः | अच् | कृत् | अकारान्तः | |
4 | प्रकाण्ड | प्रकाण्डः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | प्रकाण्ड्यते । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
5 | स्कन्द | स्कन्दः | पुंलिङ्गः | स्कन्द्यते । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |