वासः कुटी द्वयोः शाला सभा सञ्जवनं त्विदम् । चतु:शालं मुनीनां तु पर्णशालोटजोऽस्त्रियाम् ॥ ६ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | वास | वासः | पुंलिङ्गः | वसन्त्यत्र । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
2 | कुटी | कुटी | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः | कुटति कुटिलीभवति । | क | कृत् | ईकारान्तः |
3 | शाला | शाला | स्त्रीलिङ्गः | शलन्त्यत्र । | घञ् | कृत् | आकारान्तः |
4 | सभा | सभा | स्त्रीलिङ्गः | सह भान्त्यत्र । | ड | कृत् | आकारान्तः |
5 | सञ्जवन | सञ्जवनम् | नपुंसकलिङ्गः | सञ्जवन्त्यत्र । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
6 | चतुःशाल | चतुःशालम् | नपुंसकलिङ्गः | चतस्रः शालाः समाहृताः । | अकारान्तः | ||
7 | पर्णशाला | पर्णशाला | स्त्रीलिङ्गः | पर्णनिर्मिता शाला । | आकारान्तः | ||
8 | उटज | उटजः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | उटाज्जायते । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |