गारुत्मतं मरकतमश्मगर्भो हरिन्मणिः । शोणरत्नं लोहितक: पद्मरागोऽथ मौक्तिकम् ॥ ९२ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | गारुत्मत | गारुत्मतम् | नपुंसकलिङ्गः | गरुत्मतो जातत्वात् | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
2 | मरकत | मरकतम् | नपुंसकलिङ्गः | मरकं तरन्त्यनेन । | ड | कृत् | अकारान्तः |
3 | अश्मगर्भ | अश्मगर्भः | पुंलिङ्गः | अश्मनो गर्भः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
4 | हरिन्मणि | हरिन्मणिः | पुंलिङ्गः | हरिद्वर्णो मणिः । | तत्पुरुषः | समासः | इकारान्तः |
5 | शोणरत्न | शोणरत्नम् | नपुंसकलिङ्गः | शोणं च तद्रत्नं च ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
6 | लोहितक | लोहितकः | पुंलिङ्गः | लोहितमेव । | कन् | तद्धितः | अकारान्तः |
7 | पद्मराग | पद्मरागः | पुंलिङ्गः | पद्ममिव रागोऽस्य । | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
8 | मौक्तिक | मौक्तिकम् | नपुंसकलिङ्गः | मुक्तैव । | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |