नीवी परिपणो मूलधने लाभोऽधिकं फलम् । परिदानं परीवर्तो नैमेयनिमयावपि ॥ ८० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
---|---|---|---|---|---|---|---|
1 | नीवी | नीवी | स्त्रीलिङ्गः | नितरामिन्वति । | इन् | उणादिः | ईकारान्तः |
2 | परिपण | परिपणः | पुंलिङ्गः | परिपण्यते वृद्ध्यर्थं प्रयुज्यते । | घ | कृत् | अकारान्तः |
3 | मूलधन | मूलधनम् | नपुंसकलिङ्गः | मूलं च तद्धनं च ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
4 | लाभ | लाभः | पुंलिङ्गः | लभ्यते । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
5 | अधिक | अधिकम् | नपुंसकलिङ्गः | अध्यारूढम् । | निपातनात् | अकारान्तः | |
6 | फल | फलम् | नपुंसकलिङ्गः | फलति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
7 | परिदान | परिदानम् | नपुंसकलिङ्गः | परिवृत्य दानम् । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
8 | परीवर्त | परीवर्तः | पुंलिङ्गः | परिवर्तनम् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
9 | नैमेय | नैमेयः | पुंलिङ्गः | निमानम् । | यत् | तद्धितः | अकारान्तः |
10 | निमय | निमयः | पुंलिङ्गः | निमीयते । | अच् | कृत् | अकारान्तः |