अङ्ग प्रतीकोऽवयवोऽपघनोऽथ कलेवरम् । गात्रं वपुः संहननं शरीरं वर्ष्म विग्रहः ॥ ७० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | अङ्ग | अङ्गम् | नपुंसकलिङ्गः | अङ्गति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
2 | प्रतीक | प्रतीकः | पुंलिङ्गः | प्रतीयते वा । | कीकच् | उणादिः | अकारान्तः |
3 | अवयव | अवयवः | पुंलिङ्गः | अव यौति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
4 | अपघन | अपघनः | पुंलिङ्गः | अपहन्यते | निपातनात् | अकारान्तः | |
5 | कलेवर | कलेवरम् | नपुंसकलिङ्गः | कले शुक्रे मधुराव्यक्तध्वनौ वा वर श्रेष्ठम् । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
6 | गात्र | गात्रम् | नपुंसकलिङ्गः | गाते । | ष्ट्रन् | उणादिः | अकारान्तः |
7 | वपुस् | वपुस्म् | नपुंसकलिङ्गः | वपति, उप्यते, वा । | उसि | उणादिः | सकारान्तः |
8 | संहनन | संहननम् | नपुंसकलिङ्गः | संहन्ति । | ल्युट् | कॄत् | अकारान्तः |
9 | शरीर | शरीरम् | नपुंसकलिङ्गः | शीर्यते वा । | ईरन् | उणादिः | अकारान्तः |
10 | वर्ष्मन् | वर्ष्मन्म् | नपुंसकलिङ्गः | वर्षति, वृष्यते, वा । | मनिन् | उणादिः | नकारान्तः |
11 | विग्रह | विग्रहः | पुंलिङ्गः | विविधं सुखादि गृहाति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |