तत्र शोणे कुरबकः तत्र पीते कुरण्टकः । नीला झिंटी द्वयोर्बाणा दासी चार्तगलश्च सा ॥ ७४ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
---|---|---|---|---|---|---|---|
1 | कुरवक | कुरवकः | पुंलिङ्गः | तत्राम्लाने शोणे रक्ते । | कन् | तद्धितः | अकारान्तः |
2 | कुरुण्टक | कुरुण्टकः | पुंलिङ्गः | कुत्सित: कोर्वा रुण्टकः । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
3 | वाणा | वाणा | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः | वण्यते । | घञ् | कृत् | आकारान्तः |
4 | दासी | दासी | स्त्रीलिङ्गः | दस्यते । | घञ् | कृत् | ईकारान्तः |
5 | आर्तगल | आर्तगलः | पुंलिङ्गः | आर्त: क्षीणो गलति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |