वर्षोपलस्तु करका मेघच्छन्नेऽह्नि दुर्दिनम् । अन्तर्धा व्यवधा पुंसि त्वन्तर्धिरपवारणम् ॥ १२ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | करक | करकः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः | कृणोति | वुन् | उणादिः | अकारान्तः |
2 | दुर्दिन | दुर्दिनम् | नपुंसकलिङ्गः | दुर्निन्दितं दिनम् । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
3 | अन्तर्ध | अन्तर्धा | स्त्रीलिङ्गः | अन्तर्धानम् । | अङ् | कृत् | अकारान्तः |
4 | व्यवधा | व्यवधा | स्त्रीलिङ्गः | व्यवधानम् । | अङ् | कृत् | आकारान्तः |
5 | अन्तर्धि | अन्तर्धिः | स्त्रीलिङ्गः | अन्तर्धानम् । | कि | कृत् | इकारान्तः |
6 | अपवारण | अपवारणम् | नपुंसकलिङ्गः | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |