भ्रकुंसश्च भ्रुकुंसश्च भ्रूकुंसश्चेति नर्तकः । स्त्रीवेषधारी पुरुषो नाट्योक्तौ गणिकाज्जुका ॥ ११ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | भ्रकुंस | भ्रकुंसः | पुंलिङ्गः | यः पुरुषः स्रवेषधारी नृत्यति तस्मिन् भ्रकुंसादित्रयम् । | एरच् | कृत् | अकारान्तः |
2 | भ्रुकुंस | भ्रुकुंसः | पुंलिङ्गः | अकारान्तः | |||
3 | भ्रूकुंस | भ्रूकुंसः | पुंलिङ्गः | अकारान्तः | |||
4 | अज्जुका | अज्जुका | स्त्रीलिङ्गः | नाट्योक्ताविति । | आकारान्तः |