- अङ्गति । ‘अगि गतौ' (भ्वा० प० से०) । पचाद्यच् (३.१.१३४) ॥
धातुः -
| अग् | - उपदेशेऽजनुनासिक इत् 1.3.2, तस्य लोपः 1.3.9 | |
| अ + नुम् + ग् | - इदितो नुम् धातोः 7.1.58 | |
| अ + न् + ग् | - हलन्त्यम् 1.3.3, उपदेशेऽजनुनासिक इत् 1.3.2, तस्य लोपः 1.3.9 | |
| अंग् | - नश्चापदान्तस्य झलि 8.3.24 | |
| अङ्ग् | - अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः 8.4.58 | |
| अङ्ग् + अच् | - नन्दिग्रहिपचादिभ्यो ल्युणिन्यचः 3.1.134 | |
| अङ्ग् + अ | - हलन्त्यम् 1.3.3, तस्य लोपः 1.3.9 | |
| अङ्ग | - स्वरादिनिपातमव्ययम् 1.1.37 | |
| अङ्ग + सु | - स्वौजसमौट्छष्टाभ्याम्भिस्ङेभ्याम्भ्यस्ङसिभ्याम्भ्यस्ङसोसाम्ङ्योस्सुप् 4.1.2 | |
| अङ्ग | - अव्ययादाप्सुपः 2.4.82 | |