प्रादेशनं निर्वपणमपवर्जनमंहतिः । मृतार्थं तदहे दानं त्रिषु स्यादौर्ध्वदैहिकम् ॥ ३० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | प्रादेशन | प्रादेशनम् | नपुंसकलिङ्गः | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः | |
2 | निर्वपन (ण) | निर्वपन(ण)म् | नपुंसकलिङ्गः | ल्युट् | कृत् | ||
3 | अपवर्जन | अपवर्जनम् | नपुंसकलिङ्गः | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः | |
4 | अंहति | अंहतिः | स्त्रीलिङ्गः | हन्ति दुरितमनया । | अति | उणादिः | इकारान्तः |
5 | और्ध्वदेहिक | और्ध्वदेहिकः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | ठञ् | तद्धितः | अकारान्तः |