तद्वृन्दे कैशिकं कैश्यमलकाश्चूर्णकुन्तला: । ते ललाटे भ्रमरका: काकपक्षः शिखण्डकः ॥ ९६ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | कैशिक | कैशिकम् | नपुंसकलिङ्गः | केशानां समूहः । | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |
2 | कैश्य | कैश्यम् | नपुंसकलिङ्गः | यञ् | तद्धितः | अकारान्तः | |
3 | अलक | अलकः | पुंलिङ्गः | अलति, अल्यते, वा । | वुन् | उणादिः | अकारान्तः |
4 | चूर्णकुन्तल | चूर्णकुन्तलः | पुंलिङ्गः | चूर्णस्य कर्चुरादिक्षोदस्य कुन्तलाः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
5 | भ्रमरक | भ्रमरकः | पुंलिङ्गः | भ्रमर इव | कन् | तद्धितः | अकारान्तः |
6 | काकपक्ष | काकपक्षः | पुंलिङ्गः | काकस्य पक्ष इव ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
7 | शिखण्डक | शिखण्डकः | पुंलिङ्गः | शिखाया अण्ड इव । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |