तत्र त्वाक्षारणा यः स्यादाक्रोशो मैथुनं प्रति । स्यादाभाषणमालापः प्रलापोऽनर्थकं वचः ॥ १५ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | आक्षारणा | आक्षारणा | स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | युच् | कृत् | आकारान्तः | |
2 | आभाषण | आभाषणम् | नपुंसकलिङ्गः | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः | |
3 | आलाप | आलापः | पुंलिङ्गः | घञ् | कृत् | अकारान्तः | |
4 | प्रलाप | प्रलापः | पुंलिङ्गः | प्रलपनम् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |