पटुः द्वौ वाच्यलिङ्गौ च नीलकण्ठः शिवेऽपि च । पुंसि कोष्ठोऽन्तर्जठरं कुसूलोऽन्तर्गृहं तथा ॥ ४० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | पटु | पटुः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | पाटयति | उ | उणादिः | उकारान्तः |
2 | नीलकण्ठ | नीलकण्ठः | पुंलिङ्गः | नीलः कण्ठो यस्य | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
3 | कोष्ठ | कोष्ठः | पुंलिङ्गः | कुष्यते | थन् | उणादिः | अकारान्तः |