शक्तस्थूलौ त्रिषु दृढौ व्यूढौ विन्यस्तसंहतौ । भ्रूणोऽर्भके स्त्रैणगर्भे वाणो वलिसुते शरे ॥ ४५ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
---|---|---|---|---|---|---|---|
1 | दृढ | दृढः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | दर्हति, दृंहति वा स्म | क्त | कृत् | अकारान्तः |
2 | व्यूढ | व्यूढः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | विशेषेणोह्यते स्म | क्त | कृत् | अकारान्तः |
3 | भ्रूण | भ्रूणः | पुंलिङ्गः | भ्रूण्यते | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
4 | वाण | वाणः | पुंलिङ्गः | वाणयति | अच् | कृत् | अकारान्तः |