समक्ष्मांशे रणेऽप्याजि: प्रजा स्यात्संततौ जने । अब्जौ शङ्खशशाङ्कौ च स्वके नित्ये निजं त्रिषु ॥ ३२ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | आजि | आजिः | स्त्रीलिङ्गः | अजन्त्यस्याम् | इण् | उणादिः | इकारान्तः |
2 | प्रजा | प्रजा | स्त्रीलिङ्गः | प्रजायते | ड | कृत् | आकारान्तः |
2 | अब्ज | अब्जः | पुंलिङ्गः | अप्सु जायते | ड | कृत् | अकारान्तः |
3 | निज | निजः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | निजायते | ड | कृत् | अकारान्तः |