केकितार्क्ष्यावहिभुजौ दन्तविप्राण्डजा द्विजाः । अजा विष्णुहरच्छागा गोष्ठाध्वनिवहा व्रजा: ॥ ३० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | अहिभुज् | अहिभुज् | पुंलिङ्गः | अहिं भुङ्क्ते | क्विप् | कृत् | जकारान्तः |
1 | द्विज | द्विजः | पुंलिङ्गः | द्विर्जायते | ड | कृत् | अकारान्तः |
2 | अज | अजः | पुंलिङ्गः | न जायते | ड | कृत् | अकारान्तः |
3 | व्रज | व्रजः | पुंलिङ्गः | व्रजति।अस्मिन्वा | अच् | कृत् | अकारान्तः |