इष्टिर्यागेच्छयो: सृष्टिर्निश्चिते बहुनि त्रिषु । कष्टे तु कृच्छ्रगहने दक्षामन्दागदेषु तु ॥ ३९ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | इष्टि | इष्टिः | स्त्रीलिङ्गः | एषनम् | क्तिन् | कृत् | इकारान्तः |
2 | सृष्टि | सृष्टिः | स्त्रीलिङ्गः | सर्जनम् | क्तिन् | कृत् | इकारान्तः |
3 | कष्ट | कष्टः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | कष्यते स्म | क्त | कृत् | अकारान्तः |