पराग: कौसुमे रेणौ स्नानीयादौ रजस्यपि । गजेऽपि नागमातङ्गावपाङ्गस्तिलकेऽपि च ॥ २१ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | पराग | परागः | पुंलिङ्गः | परागच्छति | ड | कृत् | अकारान्तः |
2 | नाग | नागः | पुंलिङ्गः | न अगः | तत्पुरुषः | कृत् | अकारान्तः |
3 | मातङ्ग | मातङ्गः | पुंलिङ्गः | मतङ्गस्यायम् | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
4 | अपाङ्ग | अपाङ्गः | पुंलिङ्गः | अपगतोऽङ्गात् | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |