पतङ्गौ पक्षिसूर्यौ च पूगः क्रमुकवृन्दयोः । पशवोऽपि मृगाः वेग: प्रवाहजवयोरपि ॥ २० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | पतङ्ग | पतङ्गः | पुंलिङ्गः | पतति | अङ्गच् | उणादिः | अकारान्तः |
2 | पूग | पूगः | पुंलिङ्गः | पुनाति | गन् | उणादिः | अकारान्तः |
3 | मृग | मृगः | पुंलिङ्गः | मृग्यते | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
4 | वेग | वेगः | पुंलिङ्गः | वेजनम् | घञ् | कृत् | अकारान्तः |