त्रिष्विष्टेऽल्पे लघुः काचा: शिक्यमृद्भेददृग्रुजः । विपर्यासे विस्तरे च प्रपञ्चः पावके शुचिः ॥ २८ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | लघु | लघुः | पुंलिङ्गः | लङ्घ्यते | उ | उणादिः | उकारान्तः |
2 | काच | काचः | पुंलिङ्गः | कच्यते अनेन | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
3 | प्रपञ्च | प्रपञ्चः | पुंलिङ्गः | प्रपञ्चते | अच् | कृत् | अकारान्तः |
4 | शुचि | शुचिः | पुंलिङ्गः | शोचत्यनेन | इन् | कृत् | इकारान्तः |