जैवातृक: शशाङ्केऽपि खुरेऽप्यश्वस्य वर्तकः । व्याघेऽपि पुण्डरीको ना यवान्यामपि दीपकः ॥ ११ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | जैवातृक | जैवातृकः | पुंलिङ्गः | जीवति | आतृकन् | उणादिः | अकारान्तः |
2 | वर्तक | वर्तकः | पुंलिङ्गः | वर्तते | ण्वुल् | कृत् | अकारान्तः |
3 | पुण्डरीक | पुण्डरीकः | पुंलिङ्गः | पुण्डयति | ईकन् | उणादिः | अकारान्तः |
4 | दीपक | दीपकः | पुंलिङ्गः | दीपयति | ण्वुल् | कृत् | अकारान्तः |