मयूखस्त्विट्करज्वालास्वलिबाणौ शिलीमुखौ । शङ्खो निधौ ललाटास्थ्नि कम्बौ न स्त्रीन्द्रियेऽपि खम् ॥ १८ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | मयूख | मयूखः | पुंलिङ्गः | मिमीते | ऊख | उणादिः | अकारान्तः |
2 | शिलीमुख | शिलीमुखः | पुंलिङ्गः | शिली शल्यं मुखे यस्य | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
3 | शङ्ख | शङ्खः | पुंलिङ्गः | शाम्यत्यनेन | ख | उणादिः | अकारान्तः |
4 | खं | खंम् | नपुंसकलिङ्गः | खनति | ड | उणादिः |