निगारोद्गारविक्षावोद्ग्राहानिगरणादिषु । आरत्यवरतिविरतय उपरामेऽथास्त्रियां तु निष्ठेवः ॥ ३७ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
---|---|---|---|---|---|---|---|
1 | निगार | निगारः | पुंलिङ्गः | निगरणम् | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
2 | उग्दार | उग्दारः | पुंलिङ्गः | उद्गरणम् | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
3 | विक्षाव | विक्षावः | पुंलिङ्गः | विक्षवणम् | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
4 | उद्ग्राह | उद्ग्राहः | पुंलिङ्गः | उद्ग्रहणम् | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
6 | आरति | आरतिः | स्त्रीलिङ्गः | आर्येयम् | क्तिन् | कृत् | इकारान्तः |
7 | अवरति | अवरतिः | स्त्रीलिङ्गः | आरमणम् | क्तिन् | कृत् | इकारान्तः |
8 | विरति | विरतिः | स्त्रीलिङ्गः | क्तिन् | क्तिन् | इकारान्तः | |
9 | उपराम | उपरामः | पुंलिङ्गः | उपरमणम् | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
10 | निष्ठेव | निष्ठेवः | पुंलिङ्गः | घञ् | कृत् | अकारान्तः |