शमथस्तु शमः शान्तिः दान्तिस्तु दमथो दमः । अवदानं कर्म वृत्तं काम्यदानं प्रवारणम् ॥ ३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | शमथ | शमथः | पुंलिङ्गः | शमनम् | अथच् | अकारान्तः | |
2 | शम | शमः | पुंलिङ्गः | शमनम् | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
3 | शान्ति | शान्तिः | स्त्रीलिङ्गः | क्तिन् | कृत् | इकारान्तः | |
4 | दान्ति | दान्तिः | स्त्रीलिङ्गः | दमनम् | क्तिन् | कृत् | इकारान्तः |
5 | दमथ | दमथः | पुंलिङ्गः | अथच् | अकारान्तः | ||
6 | दम | दमः | पुंलिङ्गः | घञ् | कृत् | अकारान्तः | |
7 | अवदान | अवदानम् | नपुंसकलिङ्गः | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः | |
8 | कर्मवृत्त | कर्मवृत्तम् | नपुंसकलिङ्गः | कर्मणः कर्मणि वा वृत्तम् | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
9 | काम्यदान | काम्यदानम् | नपुंसकलिङ्गः | कामोऽस्ति यत्र | यप् | अकारान्तः | |
10 | प्रवारण | प्रवारणम् | नपुंसकलिङ्गः | प्रव्रियते | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |