सुन्दरं रुचिरं चारु सुषमं साधु शोभनम् । कान्तं मनोरमं रुच्यं मनोज्ञं मञ्जु मञ्जुलम् ॥ ५२ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | सुन्दर | सुन्दरः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | सु द्रियते | अप् | कृत् | अकारान्तः |
2 | रुचिर | रुचिरः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | रोचते | किरच् | कृत् | अकारान्तः |
3 | चारु | चारुः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | चरति चित्ते | ञुण् | कृत् | उकारान्तः |
4 | सुषम | सुषमः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | सु शोभनं समं सर्वमस्य | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
5 | साधु | साधुः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | साध्नोत्यर्थम् | उण् | उणादिः | उकारान्तः |
6 | शोभन | शोभनः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | शोभते | युच् | कृत् | अकारान्तः |
7 | कान्त | कान्तः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | कम्पते स्म | क्त | कृत् | अकारान्तः |
8 | मनोरम | मनोरमः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | मनो रमयति | अण् | कृत् | अकारान्तः |
9 | रुच्य | रुच्यः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | रोचते, रुच्यते, वा | य | निपातनात् | अकारान्तः |
10 | मनोज्ञ | मनोज्ञः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | मनसा जानाति | क | कृत् | अकारान्तः |
11 | मञ्जु | मञ्जुः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | मञ्ज्यते | उ | बाहुलकात् | उकारान्तः |
12 | मञ्जुल | मञ्जुलः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | मञ्जु मञ्जुत्वं लाति | क | कृत् | अकारान्तः |