भित्तिः स्त्री कुड्यमेडूकं यदन्तर्न्यस्तकीकसम् । गृहं गेहोदवसितं वेश्म सद्म निकेतनम् ॥ ४ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | भित्ती | भित्तिः | स्त्रीलिङ्गः | भिद्यते । | क्तिन् | कृत् | ईकारान्तः |
2 | कुड्य | कुड्यम् | नपुंसकलिङ्गः | कुट्यां साधु । | यत् | तद्धितः | अकारान्तः |
3 | एडूक | एडूकम् | नपुंसकलिङ्गः | यत् कुड्यं मध्यन्यस्तास्थि तत् ईड्यते । | ऊक | उणादिः | अकारान्तः |
4 | गृह | गृहम् | नपुंसकलिङ्गः | गृह्णाति । | क | कृत् | अकारान्तः |
5 | गेह | गेहम् | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | गेन गणेशेन ईह्यते काम्यते । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
6 | उदवासित | उदवासितम् | नपुंसकलिङ्गः | उत् ऊर्ध्वम् अवसीयते स्म । | क्त | कृत् | अकारान्तः |
7 | वेश्मन् | वेश्म | नपुंसकलिङ्गः | विशन्त्यत्र । | मनिन् | उणादिः | नकारान्तः |
8 | सद्मन् | सद्म | नपुंसकलिङ्गः | सीदन्त्यत्र । | मनिन् | उणादिः | नकारान्तः |
9 | निकेतन | निकेतनम् | नपुंसकलिङ्गः | नि केत्यतेऽस्मिन् । | युच् | उणादिः | अकारान्तः |