तच्छाखानगरं वेशो वेश्याजनसमाश्रयः । आपणस्तु निषद्यायां विपणिः पण्यवीथिका ॥ २ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | शाखानगर | शाखानगरम् | नपुंसकलिङ्गः | शाखेव नगरम् ॥ | समासः | अकारान्तः | |
2 | वेश | वेशः | पुंलिङ्गः | विशन्त्यत्र । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
3 | वेश्याजनसमाश्रय | वेश्याजनसमाश्रयः | पुंलिङ्गः | वेश्याजनस्य समाश्रयो वासस्थानम् ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
4 | आपण | आपणः | पुंलिङ्गः | आ समन्तात् पणायन्तेऽत्र, पणन्तेऽत्र वा । | घ | कृत् | अकारान्तः |
5 | निषद्या | निषद्या | स्त्रीलिङ्गः | निषीदन्त्यस्यां जनाः । | क्यप् | कृत् | आकारान्तः |
6 | विपणि | विपणिः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः | विपणन्तेऽत्र । | इक् | कृत् | इकारान्तः |
7 | पण्यवीथिका | पण्यवीथिका | स्त्रीलिङ्गः | पण्यानां वीथी स्वार्थे | तत्पुरुषः | समासः | आकारान्तः |