वृक्षादनी वृक्षभेदी टङ्कः पाषाणदारणः । क्रकचोऽस्त्री करपत्रमारा चर्मप्रभेदिका ॥ ३४ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
---|---|---|---|---|---|---|---|
1 | वृक्षादन | वृक्षादनः | पुंलिङ्गः | वृक्षमत्ति । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
2 | वृक्षभेदिन् | वृक्षभेदी | पुंलिङ्गः | वृक्षं भेत्तुं शीलमस्य । | णिनि | कृत् | नकारान्तः |
3 | टङ्क | टङ्कः | पुंलिङ्गः | टङ्कयति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
4 | पाषाणदारण | पाषाणदारणः | पुंलिङ्गः | पाषाणोदार्यतेऽनेन । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
5 | क्रकच | क्रकचः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | ‘क्र' इति कचति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
6 | करपत्त्र | करपत्त्रम् | नपुंसकलिङ्गः | करेण कराद्वा पतति । | ष्ट्रन् | उणादिः | अकारान्तः |
7 | आरा | आरा | स्त्रीलिङ्गः | आ इयर्ति, ऋच्छति वा । | अच् | कृत् | आकारान्तः |
8 | चर्मप्रभेदिका | चर्मप्रभेदिका | स्त्रीलिङ्गः | चर्मणः प्रभेदिका ॥ | तत्पुरुषः | समासः | आकारान्तः |