शुनको भषक: श्वा स्यादलर्कस्तु स योगितः । श्वा विश्वकद्रुर्मृगयाकुशलः सरमा शुनी ॥ २२ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | शुनक | शुनकः | पुंलिङ्गः | शुनति । | क्वुन् | उणादिः | अकारान्तः |
2 | भषक | भषकः | पुंलिङ्गः | भषति । | क्वुन् | उणादिः | अकारान्तः |
3 | श्वन् | श्वन् | पुंलिङ्गः | श्वयति । | कनिन् | उणादिः | नकारान्तः |
4 | अलर्क | अलर्कः | पुंलिङ्गः | अलम् अर्यते । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
5 | विश्वकदृ | विश्वकदृः | पुंलिङ्गः | विश्वकं सर्वं द्रवति । | डु | कृत् | ऋकारान्तः |
6 | सरमा | सरमा | स्त्रीलिङ्गः | सरति । | अम | बाहुलकात् | आकारान्तः |
7 | शुनी | शुनी | स्त्रीलिङ्गः | शुनति । | ङीष् | स्त्रीप्रत्ययः | ईकारान्तः |