व्याधो मृगवधाजीवो मृगयुर्लुब्धकोऽपि सः । कौलेयकः सारमेयः कुक्कुरो मृगदंशक: ॥ २१ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | व्याध | व्याधः | पुंलिङ्गः | व्येति । विध्यति । | ण | कृत् | अकारान्तः |
2 | मृगवधाजीव | मृगवधाजीवः | पुंलिङ्गः | मृगवधेनाजीवति । | क | कृत् | अकारान्तः |
3 | मृगयु | मृगयुः | पुंलिङ्गः | मृगान् वधार्थे याति । | कु | उणादिः | उकारान्तः |
4 | लुब्धक | लुब्धकः | पुंलिङ्गः | लुभ्यते स्म । | क्त | कृत् | अकारान्तः |
5 | कौलेयक | कौलेयकः | पुंलिङ्गः | कुले भवः । | ढकञ् | तद्धितः | अकारान्तः |
5 | सारमेय | सारमेयः | पुंलिङ्गः | सरमाया अपत्यम् । | ढक् | तद्धितः | अकारान्तः |
7 | कुक्कुर | कुक्कुरः | पुंलिङ्गः | कुक् चासौ कुरश्च । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
8 | मृगदंशक | मृगदंशकः | पुंलिङ्गः | मृगान् दशति । | अण् | कृत् | अकारान्तः |