मार्दङ्गिका मौरजिकाः पाणिवादास्तु पाणिघाः । वेणुध्माः स्युर्वैणविका: वीणावादास्तु वैणिकाः ॥ १३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | मार्दङ्गिक | मार्दङ्गिकाः | पुंलिङ्गः | मृदङ्गो लक्षणया तद्वादनं शिल्पमेषाम् । | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |
2 | मौरजिक | मौरजिकाः | पुंलिङ्गः | मुरजः शिल्पमेषाम् । | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |
3 | पाणिवाद | पाणिवादाः | पुंलिङ्गः | पाणिं वादयन्ति । | अण् | कृत् | अकारान्तः |
4 | पाणिघ | पाणिघाः | पुंलिङ्गः | पाणिं घ्नान्ति । | टक् | कृत् | अकारान्तः |
5 | वेणुध्म | वेणुध्माः | पुंलिङ्गः | वेणुं धमन्ति । | क | कृत् | अकारान्तः |
6 | वैणविक | वैणविकाः | पुंलिङ्गः | वेणोर्विकारः । | अञ् | तद्धितः | अकारान्तः |
7 | वीणावाद | वीणावादाः | पुंलिङ्गः | वीणां वादयन्ति ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
8 | वैणिक | वैणिकाः | पुंलिङ्गः | वीणा शिल्पमेषाम् ॥ | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |