चषकोऽस्त्री पानपात्रं सरकोऽप्यनुतर्षणम् । धूर्तोऽक्षदेवी कितवोऽक्षधूर्तो द्यूतकृत्समाः ॥ ४३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | चषक | चषकः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | चष्यतेऽनेन । | क्वुन् | उणादिः | अकारान्तः |
2 | पानपात्र | पानपात्रम् | नपुंसकलिङ्गः | पानस्य पात्रम् ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
3 | सरक | सरकः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | स्रियते । | वुन् | उणादिः | अकारान्तः |
4 | अनुतर्षण | अनुतर्षणम् | नपुंसकलिङ्गः | अनुतर्षणम् । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
5 | धूर्त | धूर्तः | पुंलिङ्गः | धूर्वति । | तन् | उणादिः | अकारान्तः |
6 | अक्षदेविन् | अक्षदेवी | पुंलिङ्गः | अक्षैर्दीव्यति । | णिनि | कृत् | नकारान्तः |
7 | कितव | कितवः | पुंलिङ्गः | कितेन वाति वा । | क | कृत् | अकारान्तः |
8 | अक्षधूर्त | अक्षधूर्तः | पुंलिङ्गः | अक्षेषु धूर्तः । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
9 | द्य्यूतकृत् | द्य्यूतकृत् | पुंलिङ्गः | द्यूतं करोति । | क्विप् | कृत् | तकारान्तः |