त्रिष्वथो जगती लोको विष्टपं भुवनं जगत् । लोकोऽयं भारतं वर्षं शरावत्यास्तु योऽवधेः ॥ ६ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | जगती | जगती | स्त्रीलिङ्गः | गच्छति । | अति | उणादिः | ईकारान्तः |
2 | लोक | लोकः | पुंलिङ्गः | लोक्यते । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
3 | विष्टप | विष्टपम् | नपुंसकलिङ्गः | विशन्त्यत्र । | कप् | उणादिः | अकारान्तः |
4 | भुवन | भुवनम् | नपुंसकलिङ्गः | भवन्त्यस्मिन् । | क्युन् | उणादिः | अकारान्तः |
5 | जगत् | जगत् | नपुंसकलिङ्गः | अति | उणादिः | तकारान्तः | |
6 | भारत | भारतम् | नपुंसकलिङ्गः | भरतस्य राज्ञ इदम् । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |