मुक्ताऽथ विद्रुमः पुंसि प्रवालं पुंनपुंसकम् । रत्नं मणिर्द्वयोरश्मजातौ मुक्तादिकेऽपि च ॥ ९३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | मुक्ता | मुक्ता | स्त्रीलिङ्गः | मुच्यते स्म । | क्त | कृत् | आकारान्तः |
2 | विद्रुम | विद्रुमः | पुंलिङ्गः | विशिष्टो द्रुमः । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
3 | प्रवाल | प्रवालः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | प्रबलति । | ण | कृत् | अकारान्तः |
4 | रत्न | रत्नम् | नपुंसकलिङ्गः | रमन्तेऽस्मिन् । | कप् | बाहुलकात् | अकारान्तः |
5 | मणि | मणिः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः | मण्यते | इन् | उणादिः | इकारान्तः |