ते षोडशाक्ष: कर्षोऽस्त्री पलं कर्षचतुष्टयम् । सुवर्णविस्तौ हेम्नोऽक्षे कुरुबिस्तस्तु तत्पले ॥ ८६ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | अक्ष | अक्षः | पुंलिङ्गः | अच् | कृत् | अकारान्तः | |
2 | कर्ष | कर्षः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | अच् | कृत् | अकारान्तः | |
3 | पल | पलम् | नपुंसकलिङ्गः | अच् | कृत् | अकारान्तः | |
4 | सुवर्ण | सुवर्णः | पुंलिङ्गः | अकारान्तः | |||
5 | बिस्त | बिस्तः | पुंलिङ्गः | क्त | कृत् | अकारान्तः | |
6 | कुरुविस्त | कुरुविस्तः | पुंलिङ्गः | अकारान्तः |